Great Songs by
Ustaad Nusarat Fateh Ali Khan
Lyrics in Hindi
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
तडपने पे मेरे ना फिर तुम हँसोगे
कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
होंठो के पास आये हँसी क्या मजाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल लगी नहीं
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
जख्म पे जख्म खा के जी
अपने लहू के घूंट पी
आह ना कर लबो को सी
इश्क है दिल लगी नहीं
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
दिल लगा के पता चलेगा तुम्हे
आशकी दिल लगी नहीं होती
कुछ खेल नहीं है इश्क की लाग
पानी ना समझिये आग है आग
खु रुलाएगी ये लगी दिल की
खेल समझो ना दिल लगी दिल की
ये इश्क नहीं आंसा
बस इतना समझ ली जे
एक आग का दरिया है
और डूब के जाना है
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो
तडपने पे मेरे ना फिर तुम हँसोगे
कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो
वाफाओ की हमसे तवक्को नहीं है
मगर एक बार आजमा कर तो देखो
ज़माने को अपना बना कर तो देखा
हमे भी तुम अपना बना कर तो देखो
खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा
रुख्से नकाब उठा के बड़ी देर हो गई
माहोल को तिलावते कुरआ किए हुए
खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा
हम ना समझे तेरी नजरो का तकाजा क्या है
कभी पर्दा कभी जवाला ये तमाशा क्या है
खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा
जाने जा हमसे ये उलझन नहीं देखि जाती
खुदा के लिए छोड़ दो अब ये पर्दा
के आज हम तुम नहीं गैर कोई
शबे वस्ल भी है हिजाब इस कदर क्यू
जरा रुख से आँचल उठा कर तो देखो
जफ़ाए बहुत की बहुत जुल्म ढाए
कभी इक निगाहे करम इस तरफ भी
हमेशा हुए देख कर मुझको बरहम
किसी दिन ज़रा मुस्कुरा कर तो देखो
जो उल्फत में हर इक सितम है गवारा
ये सब कुछ है पासे वफ़ा तुमसे वरना
सताते हो दिन रात जिस तरह मुझको
किसी गैर को यूँ सता कर तो देखो
अगर चे किसी बात पर वो खफा है
तो अच्छा यही है तुम अपनी सी करलो
वो माने ना माने ये मर्जी है उनकी
मगर उनको पुरनम माना कर तो देखो
तुम्हे दिल लगी भुल जानी पड़ेगी
मुहब्बत की रहो में आ कर तो देखो