कृषि कानूनों को वापस लेते समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी तपस्या में कुछ कमी रह गई होगी। कानून वापस लेने के बाद दो साल में उन्होंने किसानों के लिए कितनी तपस्या की कि किसान फिर से ट्रैक्टर ट्राली लेकर निकल पड़े हैं। आप भी सोच रहे होंगे कि आंदोलन खत्म हो गया, किसानों की बात ही खत्म हो गई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसान अपने आंदोलन को लेकर बात नहीं कर रहे हैं। सबने मान लिया था कि किसान आंदोलन ख़त्म होते ही बिखर गया है लेकिन आंदोलन के तीन साल होने के मौके पर चंडीगढ़ में बड़ी संख्या में किसानों का जुटान बता रहा है कि वे अपनी मांगों को नहीं भूले हैं न ही अपने जज़्बे को। तीन साल पहले 700 से अधिक किसानों की जानें चली गईं, फिर भी वे अपने मोर्चे पर डटे रहे। अंत में सरकार को ही पीछे हटना पड़ा। बेशक जनता भूल सकती है सरकार भूल सकती है मगर किसानों को सब कुछ याद है कि तब क्या हुआ था। आज के वीडियो में चंडीगढ़ का वो प्रदर्शन देखिए जिसे मुख्यधारा का मीडिया आपको कभी नहीं दिखाएगा।
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/ @ravishkumar.official
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